
वडोदरा। जब वह 8 साल की थी, तो माता-पिता को छोड़कर भारत आ गई। भारत उसे इतना अच्छा लगा कि वह यहीं की होकर रह गई। अब वह भारतीय होकर खुद पर गर्व करती है। कहती है कि मैं भारत से खूब प्यार करती हूं। यहां के लोग संस्कारी हैं। वे अतिथि को ईश्वर मानते हैं। अनजाने से भी हंसकर बातें करते हैं। यहां खो-खो खेलकर मुझे लगता है कि मैं भारत की संस्कृति को जी रही हूं।
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